भोपाल. मालवीय नगर में रहने वाले विजय श्रीवास्तव के घर का बिजली का हर माह 5500 से 6 हजार रुपए के आता था, जो अब औसतन 100 से 120 रुपए के बीच आने लगा है। दरअसल, छह माह पहले श्रीवास्तव ने घर की छत पर 5 किलोवाट क्षमता वाला सोलर बिजली प्लांट लगवाया, जिसे उन्होंने नेट मीटरिंग से जोड़ दिया। राजधानी में इस तरह से बिजली बिल बचा रहे श्रीवास्तव अकेले शख्स नहीं हैं, बल्कि अरेरा कॉलोनी, एमपी नगर, होशंगाबाद रोड और चार इमली इलाके में ऐसे 46 परिवार हैं, जो अपने घर की छत पर नेट मीटरिंग युक्त सोलर सिस्टम लगाकर पैसे और बिजली दोनों की बचत कर रहे हैं। खास बात यह है कि इस तरह के सोलर पैनल सिस्टम में भारी भरकम और महंगी बैटरी की कोई जरूरत नहीं होती।
क्या है नेट मीटरिंग?: नेट मीटरिंग एक तरह का बिलिंग सिस्टम है, जो सोलर पैनल द्वारा पैदा होने वाली बिजली का मेजरमेंट करता है। साथ ही सोलर प्लांट से ग्रिड में जाने वाली और घर में खपत होने वाली बिजली का भी हिसाब-किताब रखता है। नेट मीटरिंग के लिए सोलर सिस्टम के साथ एक मीटर लगाना होता है, जो बिजली कंपनी उपलब्ध कराती है।
आम उपभोक्ता को ऐसे मिलता है फायदा: नेट मीटरिंग वाले सोलर सिस्टम के लिए न्यूनतम 100 वर्गफीट वाली छत की जरूरत होती है। एक किलोवाट बिजली उत्पादन का सोलर प्लांट लगाने की कुल लागत 50 हजार रुपए (सब्सिडी के साथ) है। इससे औसतन 125 यूनिट बिजली प्रतिमाह पैदा होती है। एक किलोवाट का सोलर प्लांट लगाने पर एक सिंगल फैमिली वाले घर की करीब 80% बिजली की जरूरत पूरी हो जाती है। अधिक बिजली बनी या घर में खपत कम हुई तो अतिरिक्त बिजली ग्रिड में चली जाएगी, इसके बदले बिजली कंपनी उपभोक्ता को या तो भुगतान करेगी या बिल में उसका समायोजन कर दिया जाएगा।
लागत का 30% अनुदान भी: नेट मीटरिंग युक्त सोलर बिजली सिस्टम पर आने वाले खर्च का 30 फीसदी राशि केंद्र सरकार द्वारा अनुदान के रूप में दी जाती है। अनुदान मध्यप्रदेश उर्जा विकास निगम के माध्यम से दिया जाता है।
ऊर्जा विकास निगम के एमडी मनु श्रीवास्तव के मुताबिक, सोलर सिस्टम के साथ अब नेट मीटरिंग को लेकर लोगों का रुझान बढ़ रहा है, क्योंकि इससे बिजली पर खर्च 80% तक कम हो जाता है। भोपाल में 6 माह में 46 घरों में दो किलोवाट से 5 किलोवाट क्षमता के सोलर प्लांट नेट मीटिरिंग के साथ लग चुके हैं। नेट मीटरिंग लगवाने वालों को ऊर्जा निगम की ओर से लागत का 30% अनुदान भी दिया जा रहा है।
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